कोविड-19 के इस दौर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन काफी बढ़ गया है. वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारी और कंपनियों का सारा कामकाज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हो रहा है. लेकिन इसके साथ ही साइबर फर्जीवाड़े भी बढ़ गए. पढ़ाई, कामकाज से लेकर मनोरंजन तक के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बढ़ती निर्भरता, साइबर अपराधियों के लिए आसान शिकार मुहैया करा रही हैं. ऐसे माहौल में साइबर अपराध के बचाव के लिए साइबर इंश्योरेंस का सहारा लिया जा सकता है. यह कंपनियों और आम लोगों दोनों के लिए कारगर साबित हो सकता है.
फिशिंग, ई-मेल स्पूफिंग और इंटरनेट फिरौती से नुकसान से बचाव
साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी आम लोगों, कंपनियों और कारोबारियों के साथ हुई साइबर धोखाधड़ी को कवर करती है. यह फिशिंग, ई-मेल स्पूफिंग, साइबर फिरौती और इंटरनेट पर धोखाधड़ी की स्थिति में सुरक्षा कवरेज मुहैया कराती है. कई कंपनियां साइबर सिक्योरिटी के तहत इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है. आप 75 लाख रुपये तक कवर ले सकते हैं. इसके लिए नौ से दस हजार तक का प्रीमियम देना पड़ता है. 18 से ऊपर का कोई भी व्यक्ति यह इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकता .
इसके तहत इंश्योरेंस अपराधी के खिलाफ मुकदमे का खर्च और डिफेंस कॉस्ट इंश्योरेंस पॉलिसी मुहैया करती है. कुछ मामलों में आर्थिक घाटे भी कंपनी की ओर से मुहैया कराता जाता है. बजाज अलायंज के मुताबिक आपके आई सिस्टम पर मलवेयर अटैक की स्थिति में री-स्टोरेशन कॉस्ट को कंपनी कवर करती है. इसी तरह साइबर चोरी, फिशिंग या ई-मेल स्पूफिंग से हुए नुकसान को भी कवर किया जाता है.
कंपनी के रेवेन्यू साइज पर निर्भर करता है प्रीमियम
जहां तक कंपनियों के लिए कवरेज की बात है तो नेटवर्क सुरक्षा में सेंध लगने की स्थिति साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी फॉरेंसिक कॉस्ट, बिजनेस में रुकावट के दौरान हुए घाटे, साइबर फिरौती और कानूनी खर्च को कवर करती है.इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम कंपनी के ग्राहक की साइबर सुरक्षा जरूरतों पर निर्भर करता है. कंपनी के रेवेन्यू साइज पर भी प्रीमियम निर्भर करता है. कई इंश्योरेंस कंपनियो का कहना है कि ऑनलाइन कामकाज ट्रांजेक्शन के इस दौर में साइबर इंश्योरेंस की मांग बढ़ती जा रही है. आने वाले दिनों में लोग साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस की और और मांग करेंगे. साइबर सिक्योरिटी की मांग करने वालों की तादाद बढ़ रही है.
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