सुप्रीम कोर्ट ने देवघर के बैद्यनाथ धाम मंदिर में श्रद्धालुओं को सीमित संख्या में जाने देने की बात कही है. कोर्ट ने आज झारखंड सरकार को ये सुझाव दिया कि उसे इस बारे में कोई व्यवस्था बनानी चाहिए. श्रद्धालुओं को ई-टोकन जारी करना भी एक तरीका हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार आने वाली पूर्णमासी और भादो महीने के दौरान इस व्यवस्था को लागू करने की कोशिश करे.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब दुनिया की सारी चीजें खुल रही हों, तब धार्मिक महत्व वाले ऐसे मंदिर को पूरी तरह बंद नहीं रखा जा सकता. मंदिर के अंदर में बड़ी संख्या में पण्डों की मौजूदगी और आम लोगों प्रवेश से पूरी तरह रोक देने को कोर्ट ने अनुचित बताया.
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट ने बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को जाने से रोकने के राज्य सरकार के फैसले को सही बताया था. हाई कोर्ट ने इंटरनेट के ज़रिए लोगों को मंदिर के दर्शन करवाने के लिए कहा था. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ई-दर्शन को उपयुक्त दर्शन नहीं कहा जा सकता. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सीमित संख्या में लोगों को मंदिर में जाने देना चाहिए.”
इस मामले में सुनवाई 2 हिस्सों में हुई. याचिकाकर्ता के वकील की बातों को सुन कर कोर्ट ने मसले पर स्पष्टता को ज़रूरी माना और झारखंड सरकार से आधे घंटे में जवाब देने को कहा. मामला दोबारा लगने पर झारखंड के वकील ने मंदिर में ज़्यादा भीड़ हो जाने से कोरोना के हालात बिगड़ने के अंदेशा जताया. कोर्ट ने कहा कि विशेष धार्मिक महत्व की जगह को पूरी तरह से बंद कर देने को बिल्कुल सही नहीं कहा जा सकता.
राज्य सरकार की सख्ती और हाई कोर्ट के सुझाव के चलते सावन के महीने में बैद्यनाथ धाम मंदिर में रहने वाली धूम-धाम इस बार नदारद रही. सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर का भी उल्लेख हुआ. कोर्ट ने कहा कि वहां पर भी श्रद्धालुओं को पूरे नियमों का पालन करते हुए जाने दिया जा रहा है. ऐसा ही झारखंड सरकार को भी करना चाहिए.
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