उज्जैन। शहर की भैरवगढ़ प्रिंट कला 100 वर्ष पुरानी हैं। जो फैशन के इस दौर में भी अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। खास बात यह है कि नए प्रिंट, कपड़े और मशीनों के आने से भी उज्जैन की यह कला कमजोर नहीं पड़ी। यह आज भी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है जो सिर्फ भारत देश में ही नहीं विदेशों में भी लोगों को खूब पसंद आ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि बटिक प्रिंटिंग कला करीब दो हजार साल से प्रचलित हैं। उज्जैन में इसका प्रचलन आजादी के बाद से बढ़ा। शुरुआती दौर में केवल चुनिंदा लोगों को इस कला का ज्ञान था लेकिन आज भैरवगढ़ क्षेत्र में इस कला से जुड़े लगभग 400 पुरुष और महिलाएँ हैं जो मोम को पिघलाकर कपड़ों पर एक खास तरह की हाथ से प्रिंटिंग करते हैं, जिसे बटिक प्रिंट कहा जाता है। यह प्रिंट देशभर में भैरवगढ़ प्रिंट के नाम से जानी जाती है। यहाँ की चादरें व ड्रेस मटेरियल इंटरनेट वेबसाइट पर भी खूब बिक रहे हैं। यही वजह है कि अब विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी इसे बहुत पसंद कर रहे हैं। 60 के दशक से बटिक का काम कर रहे 80 वर्षीय हाजी अब्दुल गुट्टी ने बताया कि बटिक कार्य करने वाले अधिकांश लोग भैरवगढ़ में ही रहते हैं। मोम को पिघलाकर कपड़ों पर एक खास तरह की हाथ से प्रिंटिंग करना कई लोगों का पुश्तैनी काम हैं, वहीं वक्त के साथ नई पीढ़ी का इस कार्य में रूझान जरूर कम हुआ लेकिन हैंडलूम का चलन बढऩे से वे इस तरफ लौटे हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिस्पर्धा के इस चुनौती भरे दौर में एक ओर तेजी से बढ़ता ब्रांड युग वहीं दूसरी ओर भैरवगढ़ प्रिंट की छपाई का परंपरागत तौर तरीका, इन दोनों अलग-अलग स्थितियों में व्यावसायिक रूप से भैरवगढ़ प्रिंट की रंगत फीकी न पड़ जाए, इसके लिए इस कला में नित नए प्रयोग करना जरुरी हैं। वर्तमान में 20 कारखाने भैरवगढ़ क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। जो पहले की तुलना में कम हुए हैं, लेकिन उनके यहाँ उत्पादन बढ़ा हैं। आज रोजाना करीब 20 से 30 हजार साड़ी, सलवार सूट और चादर यहाँ तैयार किए जा रहे हैं। इसमें कॉटन, मसलीन और जॉर्जट तीनों कपड़े की वैरायटी शामिल हैं, वहीं जियो टैग की वजह से देश में ही नहीं विदेशों में लोग बटिक प्रिंट के कपड़े पहनना पसंद कर रहे हैं। इस कला से जुड़े व्यवसायियों की सरकार से कुछ ही अपेक्षाएँ हैं। जैसे की भैरवगढ़ क्षेत्र में कोरियर पार्सल की सुविधा उपलब्ध कराना, तैयार माल बाहर भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट विकसित करना और देश के साथ विदेशों में भी माल सीधे बेचने की अनुमति दिलाना। ये अपेक्षाएँ पूरी हुई तो निश्चित ही विश्व पटल पर भैरवगढ़ प्रिंट का नाम सुनहरे अक्षरों में चमकेगा।
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