हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं (married women) और लड़कियां करती हैं। इस पावन दिन सप्त ऋर्षियों का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, स्त्रियों से रजस्वला अवस्था के दौरान अनजाने में जो पाप हो जाते हैं, उन्हें दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत (Rishi Panchami Vrat) शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और महत्व…
ऋषि पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- आज 11 सितंबर को प्रातः कल 04:32 बजे से 05:18 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- आज प्रातः काल 06:04 बजे से 11:23 बजे तक
अभिजित मुहूर्त- आज 11 सितंबर को दोपहर 11:53 बजे से दोपहर बाद 12:42 बजे तक
विजय मुहूर्त- आज 11 सितंबर दोपहर बाद 02:22 बजे से 03:12 बजे तक
पूजा- विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। सप्त ऋषियों की तस्वीर लगाकर उनके सामने जल से भरा हुआ एक कलश भी रखें। इसके बाद विधि-विधान के साथ 7 ऋषियों के साथ देवी अरुंधती की पूजा- अर्चना करें। सप्त ऋषियों को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें। सप्त ऋषियों(the seven rishis) को भोग लगाएं। सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें। व्रत कथा सुनाने के बाद आरती करें। इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बांट दें।
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