– जीनोम सिक्वेंसिंग से कई खुलासे, देश में इस वायरस के 39 वैरिएंट
राजधानी दिल्ली से लेकर राजस्थान-मध्य प्रदेश तक, लंपी वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है. अब तक देशभर में 20 लाख से ज्यादा मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं. करीब एक लाख मवेशियों की मौत भी हो चुकी है. इस बीच एक डराने वाली स्टडी भी सामने आई है.
इस बीच लंपी वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग में एक डराने वाली जानकारी सामने आई है. 6 मवेशियों के सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग में सामने आया है कि तीन साल में लंपी वायरस 7 गुना ज्यादा जानलेवा हुआ है. इतना ही नहीं, इसके 39 वैरिएंट्स भी सामने आए हैं, जो दुनिया में किसी और देश में नहीं मिले हैं.
क्यों जानलेवा हो रहा है लंपी वायरस?
– बॉयोरएक्सिव में छपी स्टडी के मुताबिक, राजस्थान की 6 संक्रमित गायों के सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई थी.
– स्टडी में कहा गया है कि 2019 में जब लंपी वायरस फैला था, तब मोर्टेलिटी रेट लगभग 0 था, लेकिन आज ये 7.1 प्रतिशत से ज्यादा है.
– स्टडी के मुताबिक, जीनोम सिक्वेंसिंग में ये भी सामने आया कि लंपी वायरस के 39 वैरिएंट्स मौजूद हैं, जो दुनिया में और किसी देश में नहीं मिले हैं. इससे साफ है कि भारत में लंपी वायरस बाकी देशों की तुलना में ज्यादा घातक है.
– स्टडी के लेखक विनोद स्कारिया ने बताया कि 2019 में फैली बीमारी की तुलना में इस बार की बीमारी काफी अलग है.
क्या है लंपी वायरस?
ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइजेशन के मुताबिक, लंपी स्कीन डिसीज जिस वायरस के कारण होती है, उसका नाम कैप्रिपॉक्स वायरस रखा गया है। ये बीमारी गायों और भैसों को होती है. ये वायरस गोटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिली का है. लंपी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलता है.
क्या हैं इसके लक्षण?
लंपी वायरस से संक्रमित होने के दो से तीन के भीतर हल्का बुखार आता है. इसके बाद पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं. कुछ दाने घाव में भी बदल जाते हैं. इसके अलावा संक्रमित जानवर की नाक बहती है, मुंह से लार आती है, दूध देना कम हो जाता है. अगर कोई गर्भवती गाय या भैंस संक्रमित हो गई है, तो उसे मिसकैरेज होने का खतरा बढ़ जाता है.
क्या इंसानों को भी है खतरा?
ऐसा माना जाता है कि अगर कोई जानवर किसी वायरस से संक्रमित है, तो उससे ये संक्रमण इंसानों में भी फैल सकता है. लेकिन लंपी वायरस के मामले में ऐसा नहीं है. अब तक इंसानों के लम्पी वायरस से संक्रमित होने के सबूत नहीं मिले हैं. अगर संक्रमित मवेशियों के आसपास भी इंसान रहते हैं, तो भी उनके संक्रमित होने का खतरा कम है.
0
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved