काठमांडू । नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी अपने नेता प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच सत्ता साझेदारी के समझौते को लेकर चर्चा को किसी निष्कर्ष पर पहुंचाने में विफल रही है। प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड के नेतृत्व वाले असंतुष्ट गुट के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की अहम बैठक बुलाई गई थी, जिसमें हिस्सा लेने प्रचंड और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता बैठक के लिए तय समय पर प्रधानमंत्री के सरकारी आवास बलुआतार पहुंच गए थे। लेकिन एन वक्त पर बैठक स्थगित कर दी गई।
काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने कहा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए थोड़ा और समय चाहिए इसलिए मंगलवार को बैठक स्थगित कर दी गई। लेकिन स्थायी समिति के एक सदस्य मतृका यादव ने कहा कि बैठक किसी भी कीमत पर होगी। हालांकि प्रधानमंत्री ओली ने बैठक में भाग लेने से इनकार किया। खबर के अनुसार इसके बाद प्रचंड और पार्टी के वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल ओली से मिलने गए।
बैठक कक्ष में प्रचंड ने स्थायी समिति के सदस्यों को ओली के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया। दूसरी तरफ पार्टी सूत्रों का इस बारे में कहना है कि ओली के करीबी स्थायी समिति के सदस्यों ने बताया कि वह प्रचंड द्वारा बुलाई गई एकतरफा बैठक में भाग नहीं लेंगे। हालांकि स्थायी समिति के 29 सदस्य और दो अन्य बैठक में मौजूद थे और बैठक लगभग अपराह्र तीन बजे शुरू हुई जो एक घंटे तक चली।
बैठक स्थगित होने की सूचना देते हुए स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा था कि ओली और प्रचंड को आपसी मतभेद सुलझाने के लिए और समय चाहिए। स्थायी समिति के बैठकें 24 जून से नौ बार स्थगित की जा चुकी है। पार्टी प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने पत्रकारों को बताया कि यह पार्टी के विधान के खिलाफ था और बैठक को एकतरफा तरीके से स्थगित करना प्रधानमंत्री ओली के लिए अनुचित था।
उन्होंने कहा कि आज की बैठक में पार्टी के एजेंडे पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन इसने प्रधानमंत्री के साथ सलाह के बाद पार्टी अध्यक्ष प्रचंड को एक और स्थायी समिति की बैठक बुलाने की जिम्मेदारी सौंपी। गत सप्ताह बुधवार को प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में स्थायी समिति की एक संक्षिप्त बैठक हुई थी। हालांकि प्रधानमंत्री उसमें शामिल नहीं हुए थे।
इसके बाद पार्टी गतिविधियों की समीक्षा, सरकार का प्रदर्शन, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच काम के बंटवारे और अन्य संबंधित कामकाज पर चर्चा करने के लिए एक सप्ताह बाद 28 जुलाई को बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया था। पार्टी में बढ़ती दरार के बीच एनसीपी उपाध्यक्ष बामदेव गौतम ने प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड के बीच सुलह कराने के लिए एक ‘बीच का रास्ता’ बताया है। गौतम ने प्रस्ताव दिया है कि ओली को स्वतंत्र रूप से सरकार चलाने की अनुमति दी जाए और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर निर्णय लेने से पहले उन्हें पार्टी में सलाह लेनी होगी।
प्रस्ताव में सुरक्षा अधिकारियों और नौकरशाहों की पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए नियम तय करने, मंत्रिमंडल में फेरबदल करने इत्यादि मुद्दों पर पार्टी की राय लेने का प्रावधान किया गया है। गौतम ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पार्टी की सभी बैठक पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में हो न कि प्रधानमंत्री के आवास पर। जिसको लेकर पार्टी में अभी मतभेद बरकरार हैं।
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