उज्जैन। उज्जैन में लोग अब जात-पात के बंधन से ऊपर उठने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में यहाँ अंतरजातीय विवाह करने वालों की संख्या बढ़ रही हैं और माता-पिता ऐसी शादियों के लिए खुद आगे आ रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2022-23 में उज्जैन में ऐसे 75 लड़का-लड़की थे, जो अंतरजातीय विवाह कर चुके हैं। वहीं वर्ष 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 129 तक पहुँच गई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों की तुलना में अब अंतरजातीय विवाह का चलन उज्जैन में काफी तेजी से बढ़ रहा है। एक वर्ष के भीतर ही ऐसे जोड़ों की संख्या दोगुनी हो गई है, जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया। इसके साथ ही यहाँ होने वाले 95 प्रतिशत अंतरजातीय विवाह माता-पिता की रजामंदी से हो रहे हैं। माता-पिता ऐसी शादियों के लिए खुद आगे आ रहे हैं। अनुसूचित जाति विकास विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात सामने आ रही है कि प्रदेश में उज्जैन सहित आठ जिले ऐसे हैं जहाँ युवाओं ने जाति बंधन को दरकिनार कर एक-दूसरे का हाथ थामा है। इनमें उज्जैन सहित श्योपुर, दतिया, आगर मालवा, टीकमगढ़, निवाड़ी, रीवा, सीधी और अनूपपुर शामिल हैं। उज्जैन में भी पिछले दो सालों में 200 से अधिक जोड़ों ने अंतरजातीय विवाह किया है। हालांकि ग्वालियर-चंबल संभाग के साथ ही सागर और रीवा संभाग में जाति के बंधन तोड़कर जीवनसाथी चुनने वाले युवाओं की संख्या अभी भी कम है।
सरकार वर वधु को दे रही 2 लाख रुपए
उल्लेखनीय है कि सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के युवक और युवती से सामान्य या पिछड़ा वर्ग के युवाओं द्वारा शादी करने पर प्रत्येक जोड़े को दो लाख रुपए की राशि देती है। सरकार द्वारा यह योजना समाज में जातिगत भेदभाव को खत्म करने और सामाजिक समरसता के उद्देश्य से शुरू की गई हैं, इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत उज्जैन में हर साल कई जोड़े लाभान्वित होते आ रहे हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved