भारत अब एयरोस्पेस की दुनिया के अग्रणी देशों में अपना नाम दर्ज कराने के साथ ही रक्षा वस्तुओं में 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे में आत्मनिर्भरता और निर्यात के क्षेत्र में खुद को मजबूत करने के लिए देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) को अब ‘रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020’ नाम दिया है। इसके दूसरे मसौदे को रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की वेबसाइट पर अपलोड करके सुझाव मांगे गए हैं। इस मसौदे में रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के तहत कई घोषणाएं की गईं हैं। रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में भारत को स्थान देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति-2020 का मसौदा तैयार किया है। नए तय किये गए लक्ष्य के मुताबिक़ 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करना है। इसके अलावा गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग विकसित करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने नए मसौदे में दूसरे देशों से हथियारों का आयात करने के बजाय घरेलू डिजाइन और विकास के माध्यम से ’मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। मसौदे में कहा गया है कि घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत हथियारों के दामों की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगा। इस सबके लिए एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जो रिसर्च और अनुसंधान को प्रोत्साहित करे ताकि भारत में मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिल सके। डीपीपी-2020 के पहले मसौदे पर पहले 17 अप्रैल, 2020 तक सुझाव मांगे गए थे। बाद में इसकी अवधि 08 मई, 2020 तक बढ़ा दी गई। उस समय से लेकर अब तक अनगिनत सुझाव प्राप्त हुए, जिनका प्रकाशन 10 हजार से भी अधिक पन्नों में किया गया है।
विभिन्न एजेंसियों से मिले सुझावों का विश्लेषण करने के बाद कई लोगों से व्यक्तिगत रूप से और वेब कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद भी किए गए, ताकि उनकी चिंताओं के बारे में अच्छी तरह से समझा जा सके। उसके बाद संशोधित दूसरे मसौदे को समीक्षा समिति द्वारा अंतिम रूप दे दिया गया है जिसमें ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के हिस्से के रूप में घोषित रक्षा सुधारों के सिद्धांतों को पूरी तरह ध्यान में रखा गया है। संशोधित दूसरे मसौदे को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध करा दिया गया है। अब एक बार फिर संशोधित मसौदे पर 10 अगस्त, 2020 तक सुझाव मांगे गए हैं। अब इसके बाद मसौदे को फाइनल रूप दिया जाना है।
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